स्वतंत्र व्यक्ति न हिंदू होता है, न मुसलमान होता है, न ईसाई होता है।
स्वतंत्र व्यक्ति तो सिर्फ मनुष्य होता है। स्वतंत्र व्यक्ति न भारतीय होता है,
न पाकिस्तानी, न चीनी होता है, न अमरीकी होता है। स्वतंत्र व्यक्ति तो कहेगा,
सारी पृथ्वी हमारी है, सारा अस्तित्व हमारा है। क्यों हम इसे खंडों में बांटें
क्योंकि सब खंडों में बांटना आज नहीं कल युद्धों का कारण बनता है।
लकीरें खीचो, कि उस तरफ संगीनों खड़ी हो गई। फिर लकीरों को जरा यहां-वहां
किसी ने पार किया कि बंदूकें चली। जब तक जमीन के नक्शे पर लकीरें रहेंगी
तब तक जमीन कभी शांति से नहीं जी सकती। प्रेम के बिना शांति की कोई
संभावना
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