गीतों का गीत जो कि सोलोमन का है।
यहूदियों के धर्मग्रंथ ‘’दि ओल्ड टैस्टामैंट’’ या बाइबिल के कुछ विवादास्पद पन्ने ‘’सोलोमन का गीत’’ बनकर आज भी यहूदी आरे ईसाई धर्म गुरूओं के लिए शर्म और संकोच की वजह बने हुए है।
गुरु गंभीर धार्मिक संहिता के बीच अचानक लगभग छह गीत ऐसे उभरे है जैसे मजबूत पुराने किले की दीवारों में कहीं लिली का नाजुक गुलाबी ह्रदय खिल उठा हो।
इन गीतों में पैलेस्टाइन का सम्राट सोलोमन और उसकी प्रेमिका के बीच हुए प्रणय प्रसंग का कामुक वर्णन है। काम के उठते हुए ज्वार को इन गीतों में बेपर्दा होकर मुखरित किया है। रबाइयों के लिए ये गीत कांटे बनकर चुभते है। इजरायल में पहली ईसवी में हुई धर्म परिषद ने पवित्र बाइबिल के दामन पर लगे हुए इस दाग को मिटा देने की भरसक कोशिश की। लेकिन रबाई आकिब ने पूरी शक्ति लगाकर इन्हें धर्म ग्रंथ में स्थापित किया। उसने कहा, ‘’जिस दिन यह किताब इजरायल को दी गई उस दिन की गरिमा के सामने पूरा ब्रह्मांड फीका है।
सभी धर्मग्रंथ पवित्र होते है लेकिन यह किताब पवित्रतम है।‘’ यह प्रेम गीत इतना हर-दिल-अजीज हुआ कि बावजूद सारे रबाइयों के विरोध के, बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत, गांव-गांव, गली-गली स्त्री और पुरूष इसे गाते रहे; शादियों और उत्सवों में इसे अभिनीत करते रहे और धर्मगुरू इसे धर्मग्रंथ में छिपाते रहे।
सभी धर्मग्रंथ पवित्र होते है लेकिन यह किताब पवित्रतम है।‘’ यह प्रेम गीत इतना हर-दिल-अजीज हुआ कि बावजूद सारे रबाइयों के विरोध के, बस्ती-बस्ती, पर्वत-पर्वत, गांव-गांव, गली-गली स्त्री और पुरूष इसे गाते रहे; शादियों और उत्सवों में इसे अभिनीत करते रहे और धर्मगुरू इसे धर्मग्रंथ में छिपाते रहे।
सोलोमन का गीत जिंदा रहा जन साधारण के दिलों में, आम आदमी के होठों पर। पुरोहित तो इसे कब का मार डालते, लेकिन इस गीत की शक्ति महज लोग शक्ति नहीं है। इसकी अपनी आत्मा शक्ति भी है।
यह गीत अपने सीने में काबला पंथ का गहरा रहस्य छिपाये हुए है। काबला अर्थात यहूदी रहस्यवाद। इस गीत में आनंद की फुहार है ओर ज्ञान की गहराई भी। यह गीत मूलत: हिब्रू में कहा गया है। और हिब्रू भाषा की लिपि चित्रमय है। इसके एक-एक शब्द में ज्ञान का सागर छिपा हुआ है। यदि कोई उस का रहस्य खोलने में सक्षम हो तो। उपर से देखने में यह वैभव शाली सोलोमन और उसकी प्रेमिका की कामुक प्रेम कहानी है जिसकी वजह से गीत आम स्त्री-पुरूष की जिंदगी में प्रविष्ट हुआ। इस बहाने गीत को जिंदगी मिली। जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी सड़क का हर आदमी गाये जा रहा हो उसे कौन मिटा सकता है। रबाई लाख छिपाते रहें बाइबिल को, इस गीत की धड़कन को किसी किताब का सहारा दरकार ही नहीं।
‘’दि सांग ऑफ सांगस्’’ का गहरा अर्थ : ‘’सारो का सार’’ या इत्रों का इत्र। रहस्यदर्शीयों का कहना है कि मनुष्य की भाषा सत्य का वहन नहीं कर सकती क्योंकि वह इंद्रियों में बसी है। वासना की पूर्ति के लिए पैदा हुई है। इसलिए ज्ञानियों को दुरूह शब्दों का आश्रय लेना पडा ताकि सत्य को अक्षर के अंतस में संजोया जाये। और जो इसे लेने के लिए तैयार नहीं है, उनके हाथ में पड़ कर भ्रष्ट न हो जाये।
इस प्रेम गीत के तीन तल है—एक तो वह जो सतह पर जान पड़ता है।
दूसरा, काबला पंथ का प्रतीकात्मक तल।
और तीसरा, सूक्ष्म, दुर्बोध तल—निःशब्द मनन का, जिसे केवल मस्तिष्क नहीं समझ सकता।
इस रहस्यदर्शी गीत का कर्तव्य सम्राट सोलोमन को कैसे मिला यह भी एक बेबूझ बात है। हो सकता है जिस वक्त यह गीत प्रगट हुआ तब सोलोमन चरम ऐश्वर्य में जी रहा था। उसके रंगरलियों के किस्से इजिप्त ओर इजरायल में गूंज रहे थे। इसलिए वही इसकी रचना के लिए सुपात्र जान पडा होगा।
इस गीत के साथ एक और असंगति जुड़ी है। कि वह यहूदी धर्म का अंग है और ईसाइयत का भी। प्राचीन परंपरा में चला आया ओल्ड टैस्टामैंट ईसा की सूली के बाद ईसाइयत का हिस्सा बना। इस गीत के एक अंग्रेज प्रकाशक माइकेल अडम का मानना है कि ईसा के पूर्व यहूदी लोग शरीर और आत्मा में विरोध नहीं देखते थे। अंत: प्रबल कामुक वासना का जश्न मनाने में उन्हें कोई शर्म महसूस नहीं होती थी।
आखिर वासना भी एक उद्वेलित ऊर्जा है जो उत्तुंग होने पर परमात्मा को छू सकती है। हो सकता है, सोलोमन परमात्मा का प्रतीक हो, और प्रेमिका मनुष्य ह्रदय की भक्ति का, आराधना का।
जो भी हो, इस श्रृंगारिक प्रीति काव्य के आसपास उठे झंझावात से एक बात साफ उभरती है कि अभी मनुष्य इतना प्रौढ़ नहीं हुआ है कि अपने आपको, अपनी नैसर्गिक निर्वस्त्र वासनाओं को स्वीकार करे। उन्हें कोई न कोई रंग, रोगन लगाकर ही वह प्रस्तुत कर सकता है।
कौन जाने, यह अबूझ गीत बाइबिल के लिए शर्मनाक दाग है या बाईबिल की शान। हो सकता है, समूची बाइबिल का सार निचोड़ इसी अमर गान में हो।
दुलहन:
मैं सोलोमन के लिए अपने गीतों का गीत गाऊंगी
जब तक कि वह अपने होंठों से मेरा मुंह बंद नहीं कर देता
मदिरा की मानिंद, लेकिन उससे भी अधिक मधुर
तुम्हारी सांस की नाजुक सुगंध है...
स्वामी, तुम्हारा नाम ही स्निग्ध भाषा की तरह बहता है
विश्व भर की युवतियां तुमसे इश्क करती है
राजाधिराज, तुम्हारे महल में तुम मुझे लाये हो
ख़ुशियाँ लूटने के लिए
आओ, शराब के साथ हम इश्क का जश्न मनाए
तुम्हें प्यार करने का मेरा हक बनता है
दूल्हा
और मेरी जानम, और दिलरुबा,
तेरे जिस्म की नफीस रेखाएं
क्या ये उस अश्विनी की है जो फेरोह के रथ को खिचती है।
तेरे गालों की गोलाई चमकते हुए स्वर्ण के लॉकट के बीच रोशन है
तेरी गर्दन से लिपटी हुई रत्नों की माला...
मैं तेरे लिए स्वर्ण के कुंडल बनाऊंगा
जिसमें चाँदी के बुंदके होगें
तुम कितनी खूबसूरत हो मेरी जान
कितनी हसीन....
महीन बुरके के पीछे छिपी तुम्हारी आंखे मानों कबूतर
सैलानी हवाओं में लहराते हुए तेरे बाल मानों
पहाड़ी भेड़ों के केश....
गिलीड (एक पहाड़ी) पर मचलती हुई ऊषा जिन्हें सहलाती है।
तेरे होंठ जुदा होते है
और तेरे दाँत शुभ्र तराशी हुई भेड़ की भांति
तेरे होठ एक लाल लकीर
लेकिन तेरी मुखरित आवाज को सुन
महबूबा, परदे की ओट में छिपे तेरे बालों को देखने दे
मानो अनार के दो टुकड़े कर रखे हो
शर्माते हुए स्वर्ण को याद कर
तेरी गर्दन उभरती है डेविड की मीनार की मानिंद
लेकिन तेरे स्तन
मुलायम स्तन दो छोटे हिरनों की भांति
जैसे हिरन के जोड़े
जो सिर्फ लिली खाकर पुष्ट हुए
इससे पहले कि हवा भोर की विचलित करे
और रात के साये बिखर जाएं
मैं इस खुशबूदार पहाड़ियों की गोलाई में डूब जाऊँगा
बेदाग इश्क बेहिसाब खूबसूरत
प्यार कर मेरी जान
लेबनान की ऊँचाइयों से नीचे उतर आ
मेरी दुलहन, अपने वादे के अनुसार नीचे आ
इस ठंडी नदी से, सेनिर और हारमोन कि बरफ से
बहकर प्यार में पिघल जा
--जहां शेर ओर चीते
जिन शिखरों पर बोलते है
ओशो का नजरिया:
सोलोमन के गीतों पर ध्यान करो। यह सबसे सुंदर गीत है। जो पहले कभी भी नहीं गाये गये। और यह यहूदी और ईसाईयों द्वारा नहीं समझे गये। वास्तव में वे थोड़ी झिझक महसूस करते है। क्योंकि ये कामुक लगते है। निश्चित ही ये कामुक लगते है। क्योंकि काम ही संभावित भाषा है जो अध्यात्म के निकटतम है। यह काम ऊर्जा है जो आध्यात्मिक ऊर्जा बनती है। इसलिए यह एकदम ठीक है कि गीतों के गीत, सोलोमन के गीतों के इर्द-गर्द इतनी उत्तेजना प्रतीत होती है। यह इतने उतेजक है, यह अतुलनीय उत्तेजना पूर्ण है। कभी भी ऐसा नहीं लिख गया। न गया गया। इतनी उद्दाम उत्तेजना के साथ। लेकिन तथा कथित धार्मिक व्यक्ति सोचता है कि एक धार्मिक व्यक्ति को बिलकुल ही इन्द्रियों के खिलाफ, काम के खिलाफ होना चाहिए। वह संवेदी नहीं हो सकता और वह सुखवादी नहीं हो सकता। यह पूर्णतया गलत है। धार्मिक व्यक्ति किसी अन्य से अधिक संवेदी होता है। क्योंकि वह अधिक जीवंत है। और जब तुम चरम को अभिव्यक्त करना चाहते हो तो केवल संभावित रास्ता यह है कि उसे मनुष्य के गहनत्म अनुभव के ज़रिये अभिव्यक्त किया जाये—वह है कामोन्माद। ( सेक्सुअल ऑर्गेज़म) आनंदातिरेक को किसी तरीके से अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता है।
ओशो
धम्म पद द वे ऑफ द बुद्धा, भाग—4
यह उसी तरह है जैसे यहूदी और ईसाई सोलोमन के गीतों के बारे में बहुत चिंतित है जो कि ओल्ड-टैस्टामैंट में है। उन्होंने इनका वहां न होना पसंद किया होता। लेकिन वे क्या कर सकेत थे? ये गीत वहां थे, और अब बहुत दे हो चुकी है उनको बाहर निकालने में। और ये वास्तव में शार्मिंदा है। कोई भी रबी इनमें टिप्पणी नहीं करता। कोई ईसाई पादरी इसमे टिप्पणी नहीं करता। और यही सुंदर भाग है पूरी बाइबिल में। क्योंकि ये प्रेम का गीत है और सोलोमन इसे अपनी प्रियतमा की प्रशंसा में गा रहा है। ये बहुत ही उत्तेजनापूर्ण है। मैं नहीं सोचता कि कोई भी अन्य कवि इतने नजदीक आया होगा तुम्हारे डी. एच. लॉरेन्स, हेनरी मिलर, और अन्य, इनको सोलोमन के गीतों से अभी बहुत कुछ सीखना है।
लेकिन यहूदी इसको छिपाते रहते है, ईसाई इसे छिपाते रहते है। अगर तुम चर्च जाओ, तुम कभी भी नहीं जानोंगे कि यहां कुछ सोलोमन के गीतों जैसा है। कोई रबाई इस पर उपदेश नहीं देता, वह शर्मिंदा अनुभव करेगा। सोलोमन अपने अनुभव के बारे में, अपनी भावना के बारे में और अपनी संवेदना के बारे में इतना प्रमाणिक है कि लगता है वह सिगमंड फ्रायड को अच्छी तरह से जानता है। और शायद सिगमंड फ्रायड को सोलोमन से कुछ सीखने कि जरूरत है। सोलोमन को सिगमंड फ्रायड से कुछ नहीं सीखना।
तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि सोलोमन के गीत यहूदी और ईसाई घटनाक्रम है, लेकिन भारत में सोलोमन को सुलेमान कहा जाता है। यह सोलोमन का भारतीय उच्चारण है। भारत में कहावत है: यदि कोई बुद्धिमान बनने की कोशिश करता है , उससे कहा जाता है, ‘सुलेमान बनने की कोशिश मत कर।‘—सोलोमन बनने का दिखाव मत कर। सोलोमन की तरह बुद्धिमान बनने का ढोंग मत करो। अब भारत में ये कहावत बहुत पुरानी है। लेकिन भारत सोलोमन को स्वीकार कर सका क्योंकि यह खजुराहो का स्वीकार कर सका।
सोलोमन के गीत खजुराहो के मंदिरों में उकेरे जाने चाहिए—वहीं वह शोभा देते है, जहां पत्थरों को मादक सौंदर्य में परिवर्तित कर दिया गया है। हजारों पुरूषों और स्त्रियों को इस प्रकार उकेरा गया है कि वे वास्तविक लगते है। तुम उन्हें गले लगाना चाहोगे। तुम लज्जित अनुभव करोगे: तुम इतने सुंदर क्यों नहीं हो, इतने संतुलित क्यों नहीं हो, सोलोमन के गीत एकदम सही पुस्तक होगी खजुराहो के लिए, कोणार्क (पुरी के लिए) और भारत में यह प्राचीनतम कहावत है: सुलेमान बनने की कोशिश मत कर। लेकिन यहूदी और ईसाई इसे स्वीकार नहीं करते कि सोलोमन वास्तव में एक बुद्धिमान पुरूष था। वह पूरी बाइबिल में ‘’अन्यथा ज्ञानी’’ पुरूष प्रतीत होता है।
ओशो
फ्रॉम अनकॉन्शसनैस टु कॉन्शसनैस
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