कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

49-भारत मेरा प्यार -( India My Love) –(का हिंदी अनुवाद)-ओशो

भारत मेरा प्यार -( India My Love) –(का हिंदी अनुवाद)-ओशो

49 - ओशो उपनिषद, (अध्याय- 37)

भारत एक स्त्रैण देश है और स्त्रैण देश ही रहा है। भारत का पूरा मानस स्त्रैण है, जर्मनी या अमेरिका जैसे देशों से बिलकुल उलटा--वे पुरुष देश हैं। भारत की आत्मा ही स्त्रैण है। इसलिए भारत कभी आक्रामक नहीं हो पाया। पूरे इतिहास में भारत कभी आक्रामक नहीं रहा। हिंसा भारत में कभी चलन नहीं रही। भारत की पूरी कहानी अहिंसा की कहानी है। भारत के इतिहास को देखें तो एक बहुत हैरानी की बात सामने आती है कि दुनिया में कोई भी देश भारत जितना स्त्रैण नहीं है। और यह भी भारत के लिए दुर्भाग्य सिद्ध हुआ है।

सारी दुनिया पुरुष गुणों वाली है--सारी दुनिया आक्रामक है, सारी दुनिया हिंसक है। अकेला भारत हिंसक नहीं है, आक्रामक नहीं है। भारत का पिछले तीन हजार वर्षों का इतिहास दुख, परेशानी, कठिनाइयों का इतिहास रहा है। लेकिन यही तथ्य भविष्य में वरदान भी बन सकता है, क्योंकि जो देश पुरुष गुणों के प्रभाव में विकसित हुए हैं, वे अपने विनाश के क्षण के करीब पहुंच गए हैं।

मनुष्य का मन आक्रामक मन है, मनुष्य का मन हिंसक मन है।

पश्चिम के जो देश उस सोच के अनुसार विकसित हुए हैं, वे धीरे-धीरे युद्धों से गुज़र रहे हैं - और वे अंतिम युद्ध, संपूर्ण युद्ध के करीब पहुँच रहे हैं। अब उनके लिए लड़ने और नष्ट होने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता।

दूसरी संभावना यही है कि अब इतिहास का चक्र घूमे, पुरुष सभ्यता की कहानी बंद हो और एक नया अध्याय शुरू हो। यह स्त्री मन की सभ्यता का अध्याय होगा। 

ओशो

 

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें