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बुधवार, 19 अप्रैल 2017

एस धम्मो संनतनो-(ओशो)-भाग-11

एस धम्‍मो सनंतनो
(भाग—11)
ओशो
 बुद्ध को हुए पच्‍चीस सौ साल हो गए, लेकिन जिसको भी थोड़ी सी समझ है, उन्‍हें आज भी उनकी सुगंध मिल जाती है। जिन्‍हें समझ नहीं थी। उन्‍हें तो उनके साथ मौजुद होकर भी नहीं मिली। जितने थोड़ी संवेदनशीलता है, पच्‍चीस जीवंत हो जाते है। फिर तुम्‍हारे नासापुट उनकी गंध से भर जाते है। फिर तुम उनके साथ आनंदमग्‍न हो सकते हो। समय का अंतराल अंतराल नहीं होता; न बाधा बनती है। सिर्फ संवेदनशीलता चाहिए।
     
          ओशो
     एस धम्‍मो सनंतनो

        भाग—11

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