अध्याय—(पैत्तालीसवां)
श्रीनगर
में एक सप्ताह
रुकने के बाद
पहलगाम चलना
निश्चित होता
है। पहलगाम
चारों ओर
पर्वतों से
घिरी, कश्मीर
की सर्वाधिक
सुंदर घाटी है।
मैं कुछ
मित्रों के
साथ, पहाड़ी
रास्ते से
घोड़े पर बैठकर
पहलगाम जाने का
निश्चय करती हूं।
ओशो
कार से वहां
पहुंचेगे।
घोड़े से वहां
की बड़ी कठिन
यात्रा है, (कसकर
जब किसी को
घुडसवारी न आती
हो। किसी तरह,
थककर चूर हम
पहलगाम
पहुंचते हैं।
कुछ मित्र, जो पहले से
ही वहाँ पहुंच
गए हैं वे
हमारा इंतजार
कर रहे हैं।
ओशो भी पहुंच
चुके हैं।
मुझे एक मित्र
उस कॉटेज में
ले जाते हैँ, जहां ओशो
कुछ मित्रों
के साथ बरामदे
में बैठे हुए
हैं। मैं उनके
चरण स्पर्श
करके पास ही
नीचे फर्श पर
बैठ जाती हूं।
उन्हें हमारी
घुड़यात्रा के
किस्से सुनने
में बड़ा मजा
आता है।
कुछ
ही मिनटों में
क्रांति कमरे
से बाहर निकलती
है और मुझे
अपने साथ आने
का इशारा करती
है। मैं उठकर
उसके साथ चल
पड़ती हूं, वह
मुझे ले जाकर
पूरी कॉटेज
दिखाती है।
इसमें बाथरूम
के साथ केवल
एक ही बैडरूम
है, एक
छोटा सा
डाइनिंग रूम
है और एक
अच्छा बड़ा लिविंगरूम
है। कॉटेज के
पिछवाड़े में
एक छोटा सा
कमरा है, जो
एक छोटी सी
पगडंडी
द्वारा कॉटेज
से जुड़ा हुआ
है। मैं कमरे
में झांककर देखती
हूं। वहा
दीवार के साथ—साथ
दो सिंगल बैड
लगे हुए हैं।
एक बड़ी सी
खिड़की है, जो
पहाड़ों की ओर
खुलती है।
काफी साफ—सुथरा
कमरा है और
उसके बाहर एक
बाथरूम भी है।
क्रांति
मुझसे पूछती
है क्या मैं
उस कमरे में
रहना चाहूंगी?
मैं बिना
किसी
हिचकिचाहट से
कहती हूं मुझे
यहां रहना
अच्छा लगेगा।
यह ओशो के
कमरे के इतना
समीप है।’ मैं
अपना सूटकेस
ले आती हूं और
अपनी मित्र, शीलू के साथ
उस कमरे में
ठहर जाती हूं।
बाकी दूसरी
कॉटेज इस
कॉटेज से काफी
दूरी पर हैं।
रसोईघर भी वहा
से काफी दूर
है, इसलिए
यह तय होता है
कि ओशो व
क्रांति का
भोजन टिफिन
में लगाकर
भिजवा दिया ज।
एग।; शीलू
और मैं खाना
जाने रसोईघर
जाया करेंगी।
सुबह
चाय बनाने के
लिए एक बर्तन
और स्टोव का इंतजाम
हमारी कॉटेज
में कर दिया
गया है। ओशो
सुबह नाश्ते
में टोस्ट व
चाय लेना पसंद
करते हैं।
यहां टोस्टर
उपलब्ध नहीं
है। मैं टोस्ट
सेंकने के लिए
किसी डिब्बे
का ऐल्युमिन्यम
का डकन खोज
लेती हूं। रात
को ही मैं
पूरा इन्तजाम
कर लेती हूं
कि सुबह
नाश्ते के लिए
ब्रेड, मक्खन,
दूध, चीनी
और चाय की
पत्ती सब
तैयार हो।
ओशो
कॉटेज को देखकर
कॉफी प्रसन्न
नजर आते हैं
और रोज सुबह—शाम
लिविंग रूम
में ही प्रवचन
देने का
निर्णय करते
हैं।
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