पत्र पाथय—08
निवास:
115, योगेश भवन, नेपियर टाउन
जबलपुर
(म. प्र.)
आर्चाय
रजनीश
दर्शन
विभाग
महाकोशल
महाविद्यालय
प्रिय मां,
पद—स्पर्श, कल
रात्रि 10 बजे
यहां पहुंच
गया। आने को
आग या पर सच
में तो अपने
वहीं छोड़ आया
हूं! कल
रात्रि जब सोया
आपकी सुवास
साथ थी—जागा
जब तो आपके
हाथों की राह
देखता रहा.......और
जानती हैं.......जब
आपने उठाया
तभी उठा हूं!
श्री
पारख जी, श्री गुरुजी,
सुश्री
यशोदा जी—सबको
मेरे प्रणाम।
शारदा
और सब छोटों
को स्नेह।
तुम्हारा
अपना रजनीश
8-12-1960
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें