(समाधि
साधपा शिवर, श्री ओशो
आश्रम,
पूना। दिनांक
11 से 20 सितंबर, 1974 तक ओशो
द्वारा दिए गए
दस अमृत—प्रवचनो
का संकलन।
भूमिका:
धर्म की
यात्रा के
साधन क्या है? इस
प्रश्र का
समाधान
प्रज्ञापुरुषों
ने अपने अपने
ढंग से किया
है। परंतु सभी
ने इस बात का
स्पष्ट संकेत
दिया है कि
कोई भी साधन तभी
उपयोगी हो
सकता है जब
साधक गहन से
गहनतर चुनौतियों
को झेलने के
लिए अपने पूरे
प्राणपण से
तलर हो, कि
वह स्वयं एक
ऐसी आग में से
गुजरने के लिए
प्रतिबद्ध हो
जो उसकी चेतना
को पूरी तरह
निखार सके।
परंतु
यह यात्रा, इस यात्रा
के साधन, और
चुनौतियों का
सामना करने के
योग्य सामर्थ्य
यह सब निर्भर
करता है एक
मुख्य तत्व पर—यात्रा
का
मार्गदर्शक।
दूसरे शब्दों
में, मात्र
सद्गुरु ही
सही साधन
उपलब्ध कराते
है। सदगुरू
स्वयं एक
चिरंतन
प्रज्वलित
अग्रि है
जिसकी ऊर्जा
व्यक्ति की
चेतना को रूपांतरित
कर देती है।
चुनौती है
सद्गुरु, उसके
निकट आकर जैसे
थे वैसे रह
पाना असंभव है।
सद्गुरु
क्रांति की
ज्वाला है—बाहरी
नहीं, भीतरी
क्रांति।
माता—पिता, शिक्षक, पंडित
और पुरोहित और
सब तो दे सकते
है, बोध
नहीं। वे शरीर
और मन तो दे
सकते हैं, चेतना
नहीं। चेतना
जगाने के लिए
आवश्यकता है
एक आमूल
क्रांति की, और इस
क्रांति को
घटाने के लिए
आवश्यकता
रहती है बोध
की, ज्ञान की।
भगवान
श्री रजनीश
ऐसे ही परम
प्रज्ञावान
सद्गुरु है।
अपनी
अमृतवाणी से
उन्होंने
धर्म और
अध्यात्म
संबंधी अनेक
गढ़ रहस्यों को
उद्घाटित
किया है तथा
संसार के अनेक
मुमुक्षुओं
को
मार्गदर्शन
दिया है। उनके
वचन हैं— ‘‘जहां
क्रांति न हो,
समझना ज्ञान
नहीं है।
ज्ञान अग्रि
की भांति है—प्रज्वलित
अग्रि की
भांति। और जो
शान से
गुजरेगा, वह
अग्रि से जलकर
कुंदन हो जाता
है।’’
‘‘शिव—सूत्र’‘ ऐसी
ही क्रांति के
सूत्र हैं।
भगवान कहते है,
‘‘शिव कोई
पुरोहित नहीं
है। शिव
तीर्थंकर हैं।
शिव अवतार हैं।
शिव
क्रांतिद्रष्टा
है, पैगम्बर
है। वे जो भी
कहेंगे, वह
आग है। अगर
तुम जलने को
तैयार हो, तो
ही उनके पास
आना; अगर
तुम मिटने को
तैयार हो, तो
ही उनके
निमंत्रण को
स्वीकार करना।
क्योंकि तुम
मिटोगे तो ही
नये का जन्म
होगा।
तुम्हारी राख
पर ही नये
जीवन की
शुरुआत है।’’
लेकिन
इन सूत्रों के
क्रांतिकारी
होने से भी कहीं
अधिक
उल्लेखनीय
बात यह है कि
भगवान श्री रजनीश
जैसे
क्रांतदर्शी
बुद्धपुरुष
ने इन चिनगारियों
में नये प्राण
फूंके है। एक
नये जीवन की
दिशा, एक
नये मनुष्य के
जन्म के
संदर्भ में
भगवान के ये
अमृत वचन
चेतना के
रूपांतरण की भूमिका
हैं।
तो
धर्म की
यात्रा के
साधन क्या है
इस बात से हमने
आरंभ किया था।
भगवान श्री ने
बीज रूप में
जो साधन दिया
है वह है—
ध्यान।’’शिव—सूत्र’‘ के अमूल्य
वचनों का
रहस्य समझाते
हुए इसी
संदर्भ में
भगवान कहते है—
''ध्यान
बीज है।
तुम्हारी
महत् यात्रा
में, जीवन
की खोज में, सत्य के
मंदिर तक
पहुंचने में—
ध्यान बीज है।
ध्यान क्या है
जिसका इतना
मूल्य है; जो
कि खिल जायेगा
तो तुम
परमात्मा हो
जाओगे; जो
सड़ जायेगा तो
तुम नारकीय
जीवन व्यतीत
करोगे? ध्यान
क्या है? ध्यान
है निर्विचार
चैतन्य की
अवस्था, जहां
होश तो पूरा
हो और विचार
बिलकुल न हों।
तुम तो रहो, लेकिन मन न
बचे। मन की
मृत्यु ध्यान
है।’’
परंतु
केवल सदगुरू
और साधन के
उपलब्ध हो
जाने से भी
पूरी बात नहीं
बनती।
संपूर्ण और
प्रामाणिक
प्रयास भी
चाहिए।’’शिव—सूत्र’‘ को समझाते
हुए भगवान
श्री ने हमें
समय में ही सावधान
किया है—
‘‘दूभर
है मार्ग। उस
दूभर से
गुजरना होगा।
और, इसीलिए
उद्यम चाहिए।
इतनी महान
प्रयत्न करने
की आकांक्षा
चाहिए, अभीप्सा
चाहिए कि तुम
अपने को पूरा
दांव पर लगा
दो। मोक्ष
खरीदा जा सकता
है, लेकिन
तुम अपने को
दाव पर लगाओ
तो ही; इससे
कम में नहीं
चलेगा। कुछ और
तुमने दिया, वह देना
नहीं है, वह
कीमत नहीं
चुकायी तुमने।
अपने को पूरा
दे डालोगे तो
ही कीमत चुकती
है और उपलब्धि
होती है।’’
सारे
संसार में
धर्म के नाम
पर सदियों से
अत्याचार, शोषण और
बेईमानी होते
रहे है। परंतु
जब भी इस
प्रकार
अंधकार घना
होता है, कोई
एक
बुद्धपुरुष
अपने दिव्य
तेज और अपनी
प्रखर वाणी
द्वारा एक नयी
चेतना को जम्प
देता है, जीवन
को एक नया
संदर्भ देता
है, सूखे, प्यासे, हारे
प्राणों में
एक नया मधुर
संगीत भर देता
है। वर्तमान
जगत को घेरे
हुए अंधकार को
चीर कर भगवान
श्री रजनीश ने
नयी ज्योतिर्मय
दिशा प्रदान
की है। ध्यान,
प्रेम और
संन्यास का
त्रिवेणी
संगम उनके
सान्निध्य
में अनुभव
करने और उसमें
गहरी
डुबकियां
लेने में ही जीवन
की कृतार्थता
है।
भगवान
द्वारा
प्रकटाए हुए
स्कूलिंग हम
सब की चेतना
को प्रज्वलित
करें और हमारे
यात्रापथ को
प्रकाशमान करें
इसी
प्रार्थना के
साथ प्रस्तुत
है ‘‘शिव—सूत्र’‘।
डा. वसंत
जोशी एम. ए., पीएच. डी
(बड़ौदा
युइनवर्सिटी)
पीएच. डी
(मिशिगन
युइनवर्सिटी, यू एस. ए.)
भूतपूर्व
पा ध्यापकू
युइनवर्सिटी
आफ कैलिफोर्निया, बर्कली, यू एस .ए.
भूतपूर्व
डीन, कैलिफोर्निया
इंस्टीम्यूट
आफ इंटीग्रल
स्टडीज, सानफ्रासिसको
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