ओशो
के बारे में
जितने
विरोधाभास
चलते, जितनी
तरह—तरह की
बातें चलती
उतना शायद कभी
किसी के बारे
में नहीं हुआ
होगा। दुनिया
भर में ओशो
नित— नई बातों
से चर्चा में
बने रहते। एक
बार ओशो ने
बहुत ही सुंदर
बात बोली कि 'मैं अपने
विरोधियों का
उपयोग अपने
प्रचार के लिए
करता हूं।’ चर्चा में
बने रहना ओशो
को अच्छे से
आता था। लेकिन
उनके तरह—तरह
के मजाकों को
भी लोग बड़ी
गंभीरता से ले
लेते थे।
एक
बार इस्कान के
प्रभु पाद ए
सी भक्ती
वेदांत हमारे
बड़े भाई साहब
के साथ
महाबलेश्वर
गये हुए थे।
बाय चांस मैं
भी वहां पहुंच
गया था। वे
धूप में आसन
लगाकर बैठे थे
और उनके शिष्य
उनकी मालिश
करने लगे।
बुजुर्ग थे। मैं बैठा उनकी एक किताब, 'कृष्ण कासंश्नेस' उसे देख रहा था उसमें लिखा था कि ' जो भी व्यक्ति अपने को भगवान कहता है वह शैतान है।’ मैंने उनकी पुस्तक पढ़ते हुए पूछा ' आप यह कहते हैं तो कृष्ण के बारे में आपका क्या खयाल है। वो तो स्वयं को भगवान कहते हैं।’ इस पर वे बुडे गुस्सा हुए और मेरे को गालियां देने लगे।’ मैंने कहा, ' आपको यह लिखना चाहिए कि ' कृष्ण के अलावा जो भी कहे कि वह भगवान वह शैतान है।’ वो तो मेरी सुनने को ही तैयार न थे।
बुजुर्ग थे। मैं बैठा उनकी एक किताब, 'कृष्ण कासंश्नेस' उसे देख रहा था उसमें लिखा था कि ' जो भी व्यक्ति अपने को भगवान कहता है वह शैतान है।’ मैंने उनकी पुस्तक पढ़ते हुए पूछा ' आप यह कहते हैं तो कृष्ण के बारे में आपका क्या खयाल है। वो तो स्वयं को भगवान कहते हैं।’ इस पर वे बुडे गुस्सा हुए और मेरे को गालियां देने लगे।’ मैंने कहा, ' आपको यह लिखना चाहिए कि ' कृष्ण के अलावा जो भी कहे कि वह भगवान वह शैतान है।’ वो तो मेरी सुनने को ही तैयार न थे।
अब
उन्हें मैं
क्या बताऊं कि
ओशो के लिए
स्वयं को
भगवान कहना एक
मजाक के अलावा
कोई बड़ी बात कभी
भी नहीं रही।
क्या फर्क पड़
जाता है, लेकिन
उन्होंने इस
शब्द का उपयोग
कर पता नहीं कितने
लोगों के बटन
दबा दिए। और
मजेदार बात यह
कि शुरू में
जब ओशो प्रवचन
देते थे तब
अंत में हमेशा
कहते, ' आपके
भीतर बैठे
परमात्मा को
मैं प्रणाम
करता हूं।’ तब किसी ने
ओशो को यह
नहीं कहा कि
यह आप कैसे कह
रहे हैं? मेरे
भीतर तो कोई
परमात्मा
नहीं बैठा है।
मुझे उसकी कोई
अनुभुति नहीं
है। लेकिन जब
ओशो ने स्वयं
के नाम के आगे
भगवान लगा
लिया तो पता
नहीं कितने
लोगों को इससे
तकलीफ हो गई।
आश्चर्य तो तब
होता जब कृष्ण
को मानने वाले
भी इस बात से
नाराज होते।
वे इस बात को
नहीं देख पाते
कि स्वयं
कृष्ण भी तो
स्वयं को
भगवान कह रहे
हैं।
आज
इति।
🌺🙏🙏🙏🌺
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