ओेशो
सत्य को बोलने
वाले निर्भय
व्यक्ति थे।
हर प्रकार के
स्थापित
मूल्य जो मानव
जाति को परेशान
करते हैं, दुखी
करते हैं, उसे
रुग्ण और
अपाहिज बनाया
हुआ है उस पर
वे बेरहमी से
चोट करते थे।
और यही कारण
था कि पूरे
देश में या
दुनिया में तरह—तरह
के मुकद्दमें
चलते रहते थे।
सिर्फ भारत
में करीब 1०7 से
अधिक केस विभिन्न
जगहों पर अलग—अलग
न्यायालयों
में चलते थे।
मैं
सारे मुकद्दमों
की सूची अपने
पास रखता था, कब
कहां जाना, कहां वकील
से मिलना
इत्यादि। एक
बार इलाहाबाद
न्यायालय ने
निर्णय दिया
कि जो वक्ता
बोल रहा है और
जिन के सामने
बोल रहा है, और वह
व्यक्ति जिस
पर बोला जा रहा
है उनका वंशज
ही है तो केवल
वही व्यक्ति
केस दायर कर
सकता है, बाकी
किसी को
अनुमति नहीं
है। इस निर्णय
के बाद करीब—करीब
सारे केस
खारिज हो गये।
आज
इति।
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