अध्याय—(पच्चीसवां)
आज
रात मुझे
छोड्कर बाकी
सब लोग बाहर
भोजन पर गए
हैं। ओशो अपने
कमरे में आराम
कर रहे हैं और
मैं बराबर के
कमरे में ही
अपने बिस्तर
पर लेटी हुई
हूं तथा कुछ
अस्वस्थ हूं।
मेरे बाएं
स्तन में कोई
गांठ सी बनने
लगी है, और जब
मैंने अपने
डॉक्टर को
दिखाया तो
उसने सलाह दी
कि टाटा
हॉस्पिटल में
चेक कराऊं।
उसे शक है कि
यह गांठ कैंसर
ही न हो। मैं
भयभीत हूं।
कैंसर से
पीड़ित होने के
बजाय मैं मर
जाना चाहूंगी।
मेरे एक करीब
के मित्र का
भी एक स्तन
कैंसर का
ओपरेशन
हाल ही में
हुआ है। मैं
अभी तक मानसिक
रूप से चेक—अप
के लिए जाने
को तैयार नहीं
हो पाई हूं।
मैंने इस बारे
.में अभी तक
किसी से बात
नहीं की है, लेकिन
इसको लेकर
चिंतित रहने
लगी हूं।
मैं
ओशो से इसके
बारे में बात
करने का फैसला
करती हूं। मैं
अपने विचारों
में इस कदर
खोई हुई हूं
कि विश्वास
नहीं कर पाती
कि ओशो अपने
सौम्य मधुर आवाज
में मुझे
पुकार रहे हैं।
मैं अपनी आंखें
खोलती हूँ और
पाती हूं कि
वे मेरे
बिस्तर के पास
ही खड़े हैं।
मैं उठना
चाहती हूं
लेकिन उठ नहीं
पाती। ऐसा
लगता है, जैसे
जम गई हूं।
मेरे सिरहाने
के पास थोड़ी
सी जगह है, वहां
वे बैठ जाते
हैं और अपना
हाथ मेरे माथे
पर रख देते
हैं। मैं इतनी
अभिभूत हो
उठती हूं कि
रोने लगती हूं।
जब मैं शांत
होती हूं तो
वे पूछते हैं,
क्या बात है?
क्या तू
मुझसे कुछ
छिपा रही है?' अब मैं और
नहीं रोक पाती
और अपने बांये
स्तन की गाँठ
के बारे में
उन्हें बता
देती हूं। वे
पूछते हैं, यह गांठ
कहां है?' मैं
उनका दायां
हाथ पकड़कर
गांठ पर रख
देती हूं। वे
कहते हैं कि
मैं अपने आप
को ढीला छोड़
दूं और आंखें
बंद कर लूं।’
मैं
गहन विश्राम
में चली जाती हूं
और महसूस करती
हूं कि ऊष्मा
भरा ऊर्जा का
कोई प्रवाह
उनके हाथ से
निकलकर मेरे
शरीर में प्रवेश
कर रहा है। वे
कुछ क्षण मौन
बैठे रहते हैं
और फिर अपना
हाथ हटा लेते
हैं। वे मुझे
आश्वासन देते
हैं कि सब'' ठीक
है और चिंता
की कोई बात
नहीं है। मैं
उठने की कोशिश
करती हूं
लेकिन वे कहते
हैं, कुछ
देर लेटी रह', और चले जाते
हैं। मैं
अहोभाव से
भरकर चुपचाप
फिर से रोने
लगती हूं और
पता नहीं कब
गहरी नींद आ
जाती है। सुबह
जब में जागती
हूं तो बहुत ताजा
स्फूर्तिभरा
महसूस करती
हूं। मैं अपने
स्तन को छूती
हूं और पाती
हूं कि वहां
कोई गांठ नहीं
है। मुझे पूरा
यकीन हे कि
हीलिंग की
अपनी दिव्य ऊर्जा
से उन्होंने
गांठ को घुला
दिया है। जब
मैं बंबई जाकर
अपने डॉक्टर
को यह दिखाती
हूं तो उसे
बहुत आश्चर्य
होता है और वह
जानना चाहता
है कि यह कैसे
संभव हुआ। मैं
ओशो की हीलिंग
शक्ति के बारे
में उसे बताती
हूं जिसे कि
ओशो हमेशा
अस्वीकार
करते हैं। ओशो
कभी किसी को
ठीक करने का
दावा नहीं
करते लेकिन
मैं ऐसे और भी
बहुत से
मित्रों को
जानती हूं जो
उनके दिव्य
स्पर्श से ठीक
हुए हैं।
💗🙏🙏🙏💗 सच मे दिव्य आत्मा से दिया गया कुछ भी चमत्करी होता हे
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