(अध्याय—ग्याहरवां)
आज
मूसलाधार
वर्षा हो रही
है और ओशो को
शाम की फ्लाइट
से पूना जाना
है। वे बंबई
में चचाटि
स्टेशन के
नजदीक सी. सी.
आई. चेंबर्स' में
ठहरे हुए हैं
और वहां से
एयरपोर्ट
पहुंचने में
कम से कम एक
घंटा लगता है।
हम पांच बजे
घर से निकल
पड़ते हैं। मैं
लक्ष्मी के
साथ बैठ जाती
हूं जो कि कार
चला रही है, और तरु पीछे
की —सीट पर ओशो के
साथ बैठ जाती
है। किसी
कारणवश वह रो
रही है।
कार
पेडर रोड से
होकर गुजर रही
है और मैं
बाहर देखती हूं।
बुड्लैंडस ' बिल्डिंग का
निर्माण
कार्य पूरा हो
चुका है
मैं
ओशो से कहती हूं,
इस बिल्डिंग
में तेरहवीं
मंजिल नहीं
बनायी गयी है।’
वे
बिल्डिंग की
ओर देखते हैं
और लक्ष्मी से
यह पता लगाने
को कहते हैं
कि उसमें कोई
अपार्टमेंट
बिकाऊ है या
नहीं।
लक्ष्मी चुप
रहती है। हम
जानते हैं कि
हमारे पास
अपार्टमेंट
खरीदने कि लिए
धन नहीं है।
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