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सोमवार, 14 मार्च 2016

भावना के भोज पत्र--(पत्र--पाथय--41)

पत्रपाथय41

 निवास:
115, योगेश भवन, नेपियर टाउन
                                                जबलपुर (म. प्र.)
आर्चाय रजनीश
दर्शन विभाग
महाकोशल महाविद्यालय

 प्रिय पारख जी,
प्रणाम! कृपा—पत्र मिला है। उसकी लम्बाई से बहुत प्रसन्नता हुई है। मैं जानकर ही पुस्तिका नहीं भेजा था और जो कारण आपने अनुमान किया वह शत—प्रतिशत ठीक है! जाग्रत जो है उन्हें क्या भेजूं यह सोचकर ही नहीं भेजा हूं!

मेरे आने के लिए पूछा है। 30 अप्रैल के पूर्व तो आने में असमर्थ हूं। उसके बाद ही कॉलेज बंद होंगे। मा बाल मंदिर वार्षिकोत्सव रखती हैं तो उसको ध्यान में रखकर आऊंगा। अन्यथा मई के पहले सप्ताह में कोई तारीख निश्चित कर लूंगा। दवा के अस्थायी प्रभाव के संबंध में लिखा है सो ध्यान रखें कि समझदार डाक्टर अस्थायी प्रभाव वाली दवा ही देते हैं अन्यथा उनकी आवश्यकता ही फिर क्या रह जायेगी?
शेष शुभ है। सबको— श्री जयन्तवारजी, यशोदा जी और अन्य को मेरे विनम्र प्रणाम कहें।

 दोपहर
6 मार्च 1962
रजनीश के प्रणाम

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