पत्र पाथय—15
निवास:
115, योगेश भवन, नेपियर टाउन
जबलपुर
(म. प्र.)
आर्चाय
रजनीश
दर्शन
विभाग
महाकोशल
महाविद्यालय
सबको
मेरे प्रणाम।
स्नेह के
विवाह का
आमंत्रण
दद्दा दिए हैं।
उस समय आना ही
नेगा। जरा
जल्दी ताकि एक—दो
दिन यहां
रुकना हो
जायेगा और बाद
में गांव चलेंगे।
शेष शुभ। हां, मेरे
चित्रों का
क्या हुआ? यहां
छोटी बहिन को
जबसे ज्ञात
हुआ वह राह
देख रही है।
शेष शुभ!
फड़के
गुरुजी को
कहें कि चुप
क्यों हैं? कभी कुछ
लिखें!
रजनीश
के प्रणाम
10 जन. 1961
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