पत्र पाथय—17
निवास:
115, योगेश भवन, नेपियर टाउन
जबलपुर
(म. प्र.)
आर्चाय
रजनीश
दर्शन
विभाग
महाकोशल
महाविद्यालय
सागर
गणतंत्र
दिवस
26 जन. 1969
प्रिय मां,
सादर पद—स्पर्श!
आपके दोनों
पत्र मिल गए
हैं। पारखजी
की चार संतरे
भी! मैं अभी—
अभी यहां
पहुचा हूं। आज
बोलना है और
एक
व्यावसायिक
प्रतिष्ठान
के भवन का
उद्घाटन भी
करना है। कल
दोपहर यहां से
दमोट जाऊंगा।
वहां के कॉलेज
में ‘‘जीवन
साधना और
आदर्श शिक्षा
का स्वरुप’‘ पर एक
व्याख्यान
देना है। दमोट
से भुंडानपुर।
वहां एक साहित्य
प्रदर्शनी का
उद्घाटन और तब
30 तारीख तक
जबलपुर लौट
पाने को हूं।
पत्र तो घर
लौटकर ही
लिखूंगा। यह
तो सूचना मात्र
है ताकि आप
चिंतित न हों
और पत्र की
बाट न देखें।
लोग घेरे हुए
हैं। इससे
इतना ही बात।
सबको मेरे
प्रणाम आपके
आशीर्वाद से
स्वस्थ और
प्रसन्न हूं।
रजनीश
प्रणाम
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