पीड़ा—
मुक्त जीवन का
मार्ग
साथी
जानना चाहते
हैं कि क्या
मीरदाद ही
गुप्त
रूप से नूह की
नौका में चढ़ने
वाला व्यक्ति
था
मिकास्तर
:
हमें मार्ग
दिखाओ।
मीरदाद
:
यह है चिन्ता
और पीडा से
मुक्ति का
मार्ग
''इस तरह सोचो
मानों
तुम्हारे हर
विचार को आकाश
में आग से अंकित
होना है ताकि
उसे हर प्राणी,
हर पदार्थ
देख सके। और
वास्तव में वह
अंकित होता भी
है।
''इस तरह बोलो
मानों सारा
संसार केवल एक
ही कान है जो
तुम्हारी बात
सुनने के लिये
उत्सुक है। और
वास्तव में वह
उत्सुक है भी।
''इस तरह कर्म
करो मानों
तुम्हारे हर
कर्म को पलट
कर तुम्हारे
सिर पर आना है।
और वास्तव में
वह आता भी है।
''इस तरह
इच्छा करो
मानों तुम
स्वयं इच्छा
हो। और वास्तव
में तुम हो भी।
''इस तरह जियो
मानों स्वय
तुम्हारे
प्रभु को अपना
जीवन जीने के
लिये
तुम्हारी
आवश्यकता है।
और वास्तव में
उसे आवश्यकता
है भी।’’
हिम्बल
:
और कब तक तुम
हमें उलझन में
रखोगे मीरदाद? तुम
हम से ऐसे बात
करते हो जैसे
कभी किसी व्यक्ति
ने नहीं की, न हमने किसी
किताब में पढ़ी।
बैनून
:
बताओ तुम कौन
हो ताकि हम
जान सकें कि
तुम्हारी बात
हम किस कान से
सुनें। यदि
तुम ही नूह की
नौका में
गुप्त रूप से
चढ़ने वाले
व्यक्ति हो तो
हमें इसका कोई
प्रमाण दो।
मीरदाद
:
ठीक कहा तुमने, बैनून।
तुम्हारे
बहुत से कान
हैं, इसलिये
तुम सुन नहीं
सकते। यदि
तुम्हारा
केवल एक ही
कान होता जो
सुनता और समझता,
तो तुम्हें
किसी प्रमाण
की आवश्यकता न
होती।।
बैनून
: नूह की नौका
में गुप्त रूप
से चढ़ने वाले
व्यक्ति को
संसार! के
बारे में
निर्णय करने के
लिये आना
चाहिये और हम
नौका के
अध्याय दस निवासियों
को भी निर्णय
करने में उसके
साथ बैठना
चाहिये। क्या
हम,
निर्णय तथा
निर्णय— दिवस
निर्णय—दिवस
की तैयारी
करें?
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