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रविवार, 6 मार्च 2016

भावना के भोज पत्र--(पत्र पाथय--22)

पत्र पाथय22  

निवास:
115, योगेश भवन, नेपियर टाउन
                                                जबलपुर (म. प्र.)
आर्चाय रजनीश
दर्शन विभाग
महाकोशल महाविद्यालय

पुनश्च:
पदम को—
प्रिय पदम! बहुत बहुत स्नेह! मैंने जो कहा था, याद है न? मां की आंख के लिए फिक्र करना। जो दवा वे निश्चिंत करें, नियमित रुप से दे देना। उनके स्वास्थ्य को सदा के लिए ऐसा ही बनाए रखना है। बहुत काम उनके शरीर से अभी होने को हैं। बच्चों को मेरा प्रेम पहुंचा देना। शांति लाल का बहुत स्मरण आता है। उसे कहना मैं भी उसे कभी याद आता हूं?


 फड़के गुरुजी को—
प्रणाम' मा यहां थी तो आपके संबंध में आये दिन बातें होती रर्हा हैं। मेरा मन भी आपकी तरफ खूब झुका हुआ है। लगता है। भविष्य में साथ रहना लिखा है। आपकी भी इच्छा यही है। प्रभु ने चाहा तो वह जल्दी ही पूरी हो जाने को है। शेष शुभ' क्या कर रहे हैं लिखें।

रजनीश के प्रणाम
प्रभात 22-2-61

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