पत्र पाथय—29
निवास:
115, योगेश भवन, नेपियर टाउन
जबलपुर
(म. प्र.)
आर्चाय
रजनीश
दर्शन
विभाग
महाकोशल
महाविद्यालय
पूज्य मां,
प्रणाम! कल सध्या
पत्र मिला है।
मैं पत्र दिया
था, प्रभु
जाने उसका
क्या हुआ? आप
बाट देखती
रहीं —मुझे
क्या पता कि
भेजा पत्र
पहुंचने को
नहीं है। मैं
आज ही तट
संबंध में
पोस्ट ऑफिस के
अधिकारियों
को लिख रहा हूं—कुछ
और पत्र भी
इसी भांति गुम
गए हैं।
मैं
बम्बई हो आया
हूं। यात्रा
सुखद और
कार्यक्रम
भला रहा है।
श्री
साहुश्रेयंश
प्रसादजी, अभयराज
जी बलदेव, ऐकाजी
और ताराचंद
भाई से बाल
सेवा मंदिर के
संबंध में भी
बातें हुई हैं।
इन सबकी
सहानुभूति
उपलब्ध हो
सकती है।
चांदा
आने की बात
पिछले पत्र
में आप लिखी
थीं।
गर्मियों में
तो डर लगता
है। पंचमढ़ी
फिर आ ही रही
हैं। पंचमढ़ी
यदि आने की बात
न हो तो मैं चांदा
आ जाऊंगा।
अच्छा तो यही
है कि 10 — 15 दिन
पंचमढ़ी रहें।
शेष
शुभ! मैं
प्रसन्न हूं।
सबको मेरे
प्रणाम।
15
अप्रैल 1961
प्रभात
रजनीश
प्रणाम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें